राजस्थान की प्रमुख छतरियां pdf, Rajasthan Ki Pramukh Chhatriya Pdf
किसी विशेष व्यक्ति या राजा या किसी प्रिय के मरणोपरांत उसकी स्मृति में बनाया गया स्मारक छतरी कहलाता है।
एक खंभे की 2 छतरियां है।
- एक सवाई माधोपुर में है
- दूसरी मंडोर जोधपुर में है।
आठ खंबे की 3 छतरियां है ।
- एक राणा प्रताप की छतरी बाडौली (उदयपुर) में हैं।
- दूसरी राणा सांगा की छतरी मांडलगढ़ (भीलवाड़ा) में हैं।
- तीसरी सरिस्का अलवर में है।
12 खंभों की छतरी पृथ्वीराज सिसोदिया (उड़ाना राजकुमार) की कुंभलगढ़ (राजसमंद) में स्थित है।
16 खभों की छतरी अमर सिंह राठौड़ की नागौर में स्थित है।
20 खभों की छतरी (सिंघवियो की छतरी) जोधपुर में स्थित है।
32 खभों की चार छतरी है।
- 32 खभों की छतरी जैत्र सिंह की छतरी जिसका निर्माण देव ने करवाया और इसे न्याय की छतरी भी कहते हैं। यह रणथंभौंर (सवाई माधोपुर) में स्थित है।
- 32 खभों की छतरी जगन्नाथ कच्छावा की छतरी मांडलगढ़ (भीलवाड़ा) में स्थित है।
- 32 खभों की छतरी अलवर में भी स्थित है।
- 32 खभों की छतरी सूर्य देवी की छतरी मंडोर जोधपुर में स्थित है।
80 खभों की छात्री अलवर में स्थित है ।
- इस 80 खभों की छतरी का निर्माण 1815 ईस्वी में अलवर के शासक विनय सिंह द्वारा करवाया गया था।
- बख्तावर सिंह एवं मूसी रानी की स्मृति में 80 खभों की छतरी का निर्माण करवाया गया था इसलिए इसको मुंशी रानी की छतरी भी कहा जाता है।
- यह 80 खभों की छतरी दो मंजिला इमारत है। प्रथम मंजिला लाल पत्थर से बनी है एवं द्वितीय मंजिला सफेद पत्थरो से निर्मित है।
- इस 80 खंबे की छतरी पर रामायण व महाभारत के चित्र चित्रित हैं।
84 खभों की छतरी बूंदी में स्थित है।
- इस 84 खभों की छतरी का निर्माण अनिरुद्ध सिंह द्वारा देवा धाबाई की स्मृति में करवाया गया था।
- यह 84 खभों की छतरी तीन मंजिला छतरी हैं। जिसमें प्रथम मंजिल पर 84 प्रकार के कामसूत्रों के आसन का चित्रण किया गया है।
- द्वितीय मंजिल पर चर्चा 84 प्रकार की योनियों का विवरण है।
- तृतीय मंजिल पर आध्यात्मिक चित्रों का चित्रण किया गया है।
- यह 84 खभों की छतरी देवपुरा गांव के निकट बूंदी जिले में स्थित है।
गेटोर की छतरियां जयपुर में स्थित है।
- यह गेटोर की छतरियां जयपुर राज परिवार का श्मशान स्थल है।
- इन गेटोर की छतरियां में पहली एवं सबसे बड़ी छतरी सवाई जयसिंह की है।
- विशेष जयपुर के राजा ईश्वरी सिंह की छतरी सिटी पैलेस (जयपुर) की जयनिवास में स्थित है।
मंडोर की छतरियां जोधपुर में स्थित है।
- यह मंडोर की छतरियां जोधपुर के राठौड़ राजवंश की छतरियां या शमशान स्थल है।
- पंचकुंडा की छतरियां जोधपुर में स्थित है। जिन्हें जोधपुर रानियों की छतरियां कहते हैं।
कैसरबाग की छतरियां बूंदी में स्थित है।
- यह कैसरबाग की छतरियां बूंदी राज परिवार का श्मशान स्थल है।
- कैसरबाग (बूंदी) में 66 छतरियां स्थित है।
- कैसरबाग की छतरियां में सबसे नवीनतम छतरी विष्णुसिंह की है।
क्षारबाग की छतरियां कोटा में स्थित है।
- यह क्षारबाग की छतरियां कोटा राजवंश का श्मशान स्थल है।
आहड़ की छतरियां उदयपुर में स्थित है।
- यह मेवाड़ के राज परिवार का श्मशान स्थल है।
देवीकुंड की छतरियां बीकानेर में स्थित है।
- देवीकुंड की छतरियां बीकानेर के राजा ऑन का श्मशान स्थल है।
बड़ा बाग की छतरियां जैसलमेर में स्थित है।
- बड़ा बाग की छतरियां जैसलमेर के शासको की श्मशान स्थली है।
राजस्थान की कुछ अन्य महत्वपूर्ण छतरियां
- नैडा की छतरियां सरिस्का (अलवर) में स्थित है।
- बंजारी की छतरी लालसोट (दौसा) में स्थित है।
- चार खभों की संत रविदास की छतरी चित्तौड़गढ़ में स्थित है।
- दुर्गादास की छतरी उज्जैन में (शिप्रा नदी के तट पर) स्थित है।
- मामा भांजा की छतरी मेहरानगढ़ (जोधपुर) में स्थित है। मामा भांजा की छतरी को धन्ना भीया की छतरी भी कहते हैं।
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