RSOS 12th Hindi Paper 2024, RSOS Hindi (301) Paper pdf with Answer, Rajasthan state open school 12th Hindi Paper 2024 with Answer, RSOS HINDI PAPER PDF, Rajasthan open board 12th Hindi Paper, Rajasthan open school Hindi Paper.
राजस्थान ओपन बोर्ड कक्षा 12 हिंदी के पेपर के सभी प्रश्नों के उत्तर यहां दिए गए हैं और उसके साथ ही आप पेपर को डाउनलोड कर सकते हो और सभी प्रश्नों के उत्तर जरुर याद करें जिससे आपको परीक्षा में पूरे में से पूरे नंबर आएंगे ।
प्रश्न संख्या 1. (क) निम्नलिखित पठित काव्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए :
सतगुरु की महिमा अनैत, अनंत किया उपगार ।
लोचन अनंत उघाड़िया, अनंत दिखावणहार ।।
लाली मेरे लाल की, जित देखूँ तित लाल ।
लाली देखन मैं गई, मैं भी हो गई लाल ॥
उत्तर – प्रसंग – प्रस्तुत काव्यांश पाठ 1 निर्गुण भक्ति काव्य लिया गया है । निर्गुण भक्तिधारा के प्रमुख कवि कबीर हैं| इस काव्यांश में कबीर ने गुरु की महिमा और ईश्वर के प्रति अनन्य प्रेम की अभिव्यक्ति की है |
व्याख्या – कबीर दास जी कहते हैं कि गुरु की महिमा का वर्णन शब्दों में नहीं किया जा सकता है क्योंकि गुरु की महिमा अनंत है, जिसकी कोई सीमा नहीं है | गुरु ने मुझ पर असीम उपकार किया है और उन्होंने मुझे अज्ञान के अंधेरे से निकालकर ज्ञान का मार्ग दिखाया है | गुरु ने हीं मेरी ज्ञान रूपी आंखें खोली है और मुझे परमात्मा के सच्चे दर्शन करवाये है|
कबीर दास जी ने कहा है कि यह सारी भक्ति, यह सारा संसार, यह सारा ज्ञान मेरे ईश्वर अर्थात मेरे लाल का ही है जिसे मैं महसूस करता हूं | मैं जिधर भी देखता हूं, उधर मेरे लाल या ईश्वर की अनुभूति का ही रूप दिखाई देता है| मुझे संसार के हर कण में, हर जीव में मेरे लाल की सत्ता अर्थात रूप का प्रकाश दिखाई देता है | सभी प्राणियों में मुझे अपने ईश्वर के ही दर्शन होते हैं |
(ख) निम्नलिखित पंक्तियों का भाव सौंदर्य एवं शिल्प सौंदर्य लिखिए
कनक कनक ते सौ गुनी, मादकता अधिकाय।
वा खाए बौरात है, या पाएं बौराय।।
उत्तर – इन पंक्तियों का भाव सौंदर्य– इस दोहे में धन का नशा, धतूरे अर्थात मादक पदार्थ का सेवन करने से कई गुना अधिक होता है क्योंकि मादक पदार्थ का नशा कुछ समय बाद उतर जाता है लेकिन धन का घमंड हमेशा बना रहता और दूसरी वस्तुओं पर भी उसका प्रभाव दिखाई देता है | इस दोहे में कवि ने मनुष्य के व्यवहार पर धन के कुप्रभाव को बहुत ही अच्छे तरीके से व्यक्त किया है |
इन पंक्तियों का शिल्प सौंदर्य – इस दोहे में कनक शब्द दो बार आया है | दोनों ही बार कनक शब्द का अलग अर्थ है | पहले कनक शब्द का अर्थ सोना है और दूसरे कनक शब्द का अर्थ धतूरा होता है | इसलिए इस दोहे में कवि ने यमक अलंकार का प्रयोग किया गया है |
प्रश्न संख्या 2. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में लिखिए |
प्रश्न (क) जयशंकर प्रसाद जी की कविता हिमाद्रि तुंग श्रृंग से………. कविता का भाव स्पष्ट कीजिए | वर्तमान समय में इस कविता की प्रासंगिकता भी लिखिए |
उत्तर – जयशंकर प्रसाद ने कविता के माध्यम से राष्ट्र प्रेम का एक उदाहरण प्रस्तुत किया है | इस कविता के माध्यम से व्यक्ति, समाज और राष्ट्र के लिए स्वतंत्रता के महत्व को स्पष्ट किया गया है | उस युग में भारतीयों के लिए पराधीनता से बड़ा कोई दुख नहीं था | कवि जयशंकर प्रसाद ने समूचे देश को पराधीनता से उबरने का संदेश देने का प्रयत्न किया है |
वर्तमान समय में भी इस कविता की प्रासंगिकता यह है कि इस युग में भी देश अनेक प्रकार की समस्याओं से घिरा हुआ है | भारतीयों का यह कर्तव्य है कि वे देश की पुकार को सुने और अनेक समस्याओं से देश को मुक्त कराने का प्रयास करें |
प्रश्न (ख) कवि रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित कविता ‘परशुराम के उपदेश’ में कवि ने देशवासियों को क्या संदेश दिया है ?
उत्तर – कवि रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित कविता ‘परशुराम के उपदेश’ में कवि ने देशवासियों को यह संदेश दिया है कि हमें अपने देश के राष्ट्रीय सम्मान और नैतिक मूल्यों की रक्षा के लिए हमेशा सजक रहना चाहिए| कवि ने युद्ध भूमि में शत्रु का नाश करने अर्थात हिंसा करने को अनुचित नहीं बताया है |
(ग) कवि ‘अज्ञेय’ की कविता ‘नदी के द्वीप’ में कवि ने ‘नदी’, ‘द्वीप’ और ‘भूखंड’ शब्दों का प्रयोग प्रतीक के रूप में किनके लिए किया है और क्यों ?
उत्तर – ‘नदी’ का प्रयोग ‘माँ’ और संस्कृति के अर्थ में, ‘द्वीप’ का शिशु और व्यक्तित्व के अर्थ में और ‘भूखंड’ का पिता और सम्मान के अर्थ में प्रयोग किया गया है क्योंकि कविता में प्रतीकों का एक स्तर प्राकृतिक और दूसरा मानवीय है। दोनों मिलकर प्रकृति और मनुष्य के संबंध को स्पष्ट करते हैं।
प्रश्न संख्या 3. कवि नरेश सक्सेना की कविता ‘नक्शे’ में ‘पैमाने’ को सबसे खतरनाक क्यों बताया गया है ?
उत्तर – कवि नरेश सक्सेना की कविता नक्शे में पैमाने को सबसे खतरनाक इसलिए बताया गया है क्योंकि पैमाने के अनुसार ही नक्शे में किसी जगह की लंबाई-चौड़ाई और क्षेत्रफल तय होते हैं | इसलिए कवि कहता है कि पैमाना घटते ही पहाड़, शहर, समुद्र तो छोड़िए देश तक नक्शे से गायब हो जाते हैं, यानी नक्शे में कौन रहेगा और कौन नहीं यह पैमाने से ही तय होता है |
प्रश्न संख्या 4. कवि राजेश जोशी ने संयुक्त परिवार के टूटने के क्या कारण बताए हैं ? संक्षेप में लिखिए |
उत्तर – कवि राजेश जोशी ने संयुक्त परिवार के टूटने के निम्नलिखित कारण अकेला रहने की आजादी चाहिए, एक दूसरे के ऊपर विश्वास नहीं होना, रोजगार के लिए नगरों की ओर प्रस्थान करना तथा सभी की आय में भिन्नता होना बताए हैं |
प्रश्न संख्या 5. ‘रुई ज्यों जलती हुई भू’ काव्य-पंक्ति में किस ऋतु का वर्णन है ? उसका पृथ्वी पर क्या प्रभाव पड़ रहा है ? साथ ही लिखिए कौन सा अलंकार है ?
उत्तर – ‘रुई ज्यों जलती हुई भू’ काव्य-पंक्ति में ग्रीष्म ऋतु का वर्णन है | इस ऋतु का पृथ्वी पर यह प्रभाव पड़ रहा है कि धरती जलने लगी है और चारों ओर धूल का गुबार-सा छा गया है | इसमें उपमा अलंकार है |
प्रश्न संख्या 6. निम्नलिखित पठित गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए :
यह माना गया कि मन मस्तिष्क नहीं है। वैज्ञानिकों के अनुसार मस्तिष्क शरीर के भीतर एक सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण केन्द्र है जिसमें बहुत कुछ घटता रहता है। मस्तिष्क की तरंगों को कोई चेतना, कोई चिति, कोई संज्ञान की संज्ञा देता है। कल्पना करना, अतीत में जाना, अवधान, पर्यवेक्षण, विचारणा आदि अभिक्रिया का संपादन मस्तिष्क करता है, जिनके समुच्चय का नाम ‘मन’ है। मन को विद्वानों ने तीन मंजिला भव नववल्कल, वत्सल, सर्पिल माना |
उत्तर– प्रसंग – यह गद्यांश पाठ 12 ‘जिजीविषा की विजय’ नामक पाठ से लिया गया है | इस पाठ के लेखक का नाम कैलाश चंद्र भाटिया है |
व्याख्या – इस गद्यांश में मन और मस्तिष्क के बारे में जानकारी दी गई है और यह भी बताया गया है की मन और मस्तिष्क दोनों अलग-अलग होते हैं | कल्पना करना, अतीत में जाना अवधान तथा पर्यवेक्षण आदि अभिक्रियाओं के समुच्चय के नाम को मन कहते है | मन को विद्वानों ने तीन मंजिला भवन बताया है |
प्रश्न संख्या 7. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्ही तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 40 शब्दों में लिखिए |
(क) ‘कुटज’ शब्द का क्या अर्थ है ? ऐसे कौन से मुनि है, जिन्हें ‘कुटज’ कहा गया है ?
उत्तर – ‘कुटज’ शब्द का अर्थ जो कुट से पैदा हुआ हो। ‘कुट’ घड़े को भी कहते हैं और घर को भी कहते हैं। कुट अर्थात् घड़े से उत्पन्न होने के कारण अगस्त्य मुनि को भी ‘कुटज’ कहा गया है |
(ख) चीफ़ की दावत’ कहानी के आधार पर ‘शामनाथ’ का चरित्र-चित्रण कीजिए |
उत्तर – चीफ़ की दावत’ कहानी के आधार पर ‘शामनाथ’ का चरित्र-चित्रण निम्नलिखित प्रकार से किया गया है –
1. शामनाथ ‘चीफ़ की दावत’ कहानी का मुख्य पात्र था |
2. शामनाथ व्यवहारिक व्यक्ति था, जो अपने कार्य के मार्ग में किसी भी बाधा को नहीं चाहता है |
3. शामनाथ स्वार्थी व्यक्ति हैं, जो अपनी तरक्की के लिए मां का अपमान करता है और उन्हें बोझ समझता है |
4. शामनाथ अपने लक्ष्य की पूर्ति के लिए सदा सजग और चिंतनशील दिखाई देता है |
5. शामनाथ को बहुत गुस्सा आता था |
(ग) कौन व्यक्ति आनंदित या सुखी है ? यक्ष के इस प्रश्न का युधिष्ठिर ने क्या उत्तर दिया ?
उत्तर – जलाशय में निवास करने वाला व्यक्ति आनंदित या सुखी है | यक्ष के इस प्रश्न का युधिष्ठिर ने दिया कि जो व्यक्ति सीमित संसाधनों के साथ अपने परिवार के बीच रहते हुए संतोष कर पाता हो, वही व्यक्ति वास्तव में सुखी और आनंदित है |
प्रश्न संख्या 8. दुख और सुख को मन के विकल्प क्यों कहा गया है ? कुटज निबंध के आधार पर लगभग 40 शब्दों में लिखिए |
उत्तर – दुख और सुख को मन के विकल्प इसलिए कहा गया है क्योंकि कोई भी सुख सबके लिए सुख का कारण नहीं हो सकता तथा कोई भी दुख सबको दुखी नहीं कर सकता | जिस व्यक्ति की इंद्रियां अपने वश में होती है तो वह सुखी रहता और जिसकी इंद्रियां अपने वश में नहीं होती है वह दुखी रहता है |
प्रश्न संख्या 9. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में लिखिए :-
(क) दो कलाकार कहानी में कौन बड़ा कलाकार है और क्यों ? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए |
(ख) नई पीढ़ी, पुरानी पीढ़ी से क्या चाहती है ? पुरानी पीढ़ी के लोग नई पीढ़ी को आगे क्यों नहीं आने देते हैं ? ‘पीढ़ियां और गिट्टियां’ अध्याय के आधार पर स्पष्ट कीजिए ।
या
सुभद्रा कुमारी चौहान के व्यक्तित्व के प्रमुख तीन पक्षों को स्पष्ट कीजिए।
प्रश्न संख्या 10. ‘शंकर में रीढ़ की हड्डी ही नहीं है।’ इस कथन के आधार पर शंकर का चरित्र-चित्रण कीजिए ।
प्रश्न संख्या 11. सभा या मंच संचालन के प्रकारों का नाम लिखते हुए किसी एक प्रकार को स्पष्ट कीजिए ।
प्रश्न संख्या 12. निम्नलिखित अपठित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
न्यायोचित अधिकार माँगने से न मिले तो लड़ के,
तेजस्वी छीनते समर को जीत, या कि खुद मर के ।
किसने कहा, पाप है समुचित स्वत्व-प्राप्ति-हित-लड़ना ?
उठा न्याय का खड्ग समर में अभय मारना-मरना ।
- काव्यांश का उचित शीर्षक लिखिए ।
- न्यायोचित अधिकार प्राप्ति के लिए ‘तेजस्वी’ क्या करते हैं?
- क्या पाप नहीं है?
- ‘उठा न्याय का खड्ग समर में, अभय मारना-मरना।’ उपर्युक्त पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
प्रश्न संख्या 13. निम्नलिखित अपठित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
सद्ग्रन्थ मानव समाज की अमूल्य निधि हैं। इस निधि की समानता में समाज के पास अन्य कोई सम्पत्ति नहीं । मानव अपने जीवन के लिए जो कुछ भी उत्तम की प्राप्ति करता है, उसमें सद्ग्रन्थों का ही विशेष योगदान है। उत्तम ग्रन्थ पुस्तकालय की शोभा मात्र ही नहीं है वरन् मानवीय गुणों के विकास में ये प्रमुख भूमिका निभाते हैं। जीवन के ऊँचे आदशों की स्थापना भी ये ग्रन्थ रत्न ही करते हैं। सत्यं, शिवं, सुन्दरम् की त्रिवेणी का स्रोत इन्हीं ग्रन्थों में है। ये मानव जीवन के सच्चे साथी और एक मात्र हितैषी हैं।
- उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
- मानव समाज की अमूल्य निधि किसे माना गया है?
- सद्गन्थों का विशेष योगदान क्या है?
- मानवीय गुणों का विकास किस प्रकार होता है ?
- जीवन के ऊँचे आदशों की स्थापना में सद्ग्रन्थों का योगदान लिखिए ।
- ‘सत्यं, शिवं, सुंदरम्’ का स्रोत किसे माना गया है और क्यों?