सिंधु घाटी सभ्यता का प्रमुख स्थल लोथल और कालीबंगा कोचिंग नोट्स यहां दिए गए हैं। यदि आपने इन नोट्स को अच्छे से पढ़ लिया तो सलेक्शन पक्का हैं।
सिंधु घाटी सभ्यता का प्रमुख स्थल लोथल
- लोथल गुजरात में भोगवा (साबरमती) नदी के संगम पर स्थित हैं ।
- लोथल की खोज 1956 ईस्वी में श्री रंगधार राव (SR राव) के द्वारा की गई
S.R. राव ने लोथल को लागू हड़प्पा व मोहनजोदड़ो कहा है इसके दुर्ग टीले को एक्रोपोलिस कहा है । - लोथल एकमात्र ऐसा स्थल था जिसका दुर्ग टीला दक्षिण-पूर्व दिशा में स्थित था ।
- लोथल से चावल और बाजरे के प्रथम साक्ष्य मिले हैं ।
- लोथल से चक्की के दो पाट के साक्ष्य मिले हैं ।
- लोथल से बाट-माप-तोल पैमाना (हाथी दांत का पैमाना), बंदरगाह (डॉकयार्ड), 5 नाव, दिशा सूचक यंत्र, फारस की मोहरे, घोड़े की मृण मूर्तियां, तीन युगल श्वाधान, कौवे के साक्ष्य, अग्निकुंड के साक्ष्य, मिट्टी से निर्मित मम्मी का मॉडल तथा रस्सी के साक्ष्य मिले हैं ।
- लोथल से प्राप्त एक मृदभांड पर पंचतंत्र में वर्णित चालाक लोमड़ी का चित्र मिला है ।
- लोथल से एक छिद्र युक्त खोपड़ी मिली है जिससे यह प्रतीत होता है कि यहां खोपड़ी की शल्य चिकित्सा की जाती होगी ।
- खोपड़ी के शल्य चिकित्सा का यह दूसरा प्रमाण है ।
लोथल का बंदरगाह
- लोथल के इस प्राकृतिक बंदरगाह का निर्माण यहां के वास्तुकारों के द्वारा किया गया ।
- लोथल का यह ज्वारीय बंदरगाह था जिसका आकार 214 * 36 मीटर था ।
- लोथल का बंदरगाह संपूर्ण सैंधव सभ्यता की सबसे बड़ी वास्तु संरचना मानी जाती है जो की 3.30 मीटर गहरा था ।
- सैंधव सभ्यता में सबसे विशाल संरचना क्रमशः लोथल का गोदिवाडा, हड़प्पा का अन्नागार, मोहनजोदड़ो का अन्नागार व मोहनजोदड़ो का ही स्नानागार है ।
- लोथल की समुद्र की देवी सिकोत्तरी माता थी ।
- लोथल से पश्चिम एशियाई देशों के साथ व्यापार होता था ।
- लोथल से तांबे से निर्मित पत्थर, खरगोश, स्वान (कुत्ता) व वृषभ की मूर्ति मिली है ।
- लोथल से प्राप्त युगल श्वाधान को श्री रंगनाथ राव ने आंशिक सती प्रथा का प्रतीक माना है ।
सिंधु घाटी सभ्यता का प्रमुख स्थल कालीबंगा
- कालीबंगा की खोज 1953 में अमलानंद घोष के द्वारा की गई थी ।
- कालीबंगा राजस्थान के हनुमानगढ़ में स्थित प्राचीन सरस्वती नदी के किनारे स्थित हैं ।
- कालीबंगा का उत्खनन 1961 से संसद तक बी.बी. लाल व बी.के. थापर के द्वारा किया गया ।
- कालीबंगा शब्द का शाब्दिक अर्थ होता है – काली रंग की चूड़ियां ।
- कालीबंगा से ऊंट व बैल के साक्ष्य, जुते हुए खेत के साक्ष्य तथा लकड़ी से निर्मित हल के साक्ष्य मिले हैं ।
- कालीबंगा के लोग एक साथ दो फसले उगाया करते थे । (संभवत यह दो फसले चावल व गेहूं थे)
- जले हुए चावल के साक्ष्य कालीबंगा से प्राप्त होते हैं । यहां से चना व सरसों की मिश्रित खेती के साक्ष्य भी मिले हैं ।
- कालीबंगा के मकान कच्ची ईंटों से निर्मित थे तथा यहां से लकड़ी से निर्मित नालियों के साक्ष्य मिले हैं इसलिए कालीबंगा को दीन-हीन की बस्ती कहा जाता है ।
- कालीबंगा के प्रत्येक तीसरे घर के सामने से कुएं के साक्ष्य मिले हैं ।
- कालीबंगा से एक बालक की छिद्र युक्त खोपड़ी प्राप्त हुई है जिससे शल्य चिकित्सा की जानकारी प्राप्त होती है । खोपड़ी की शल्य चिकित्सा का यह पहला प्रमाण है ।
- कालीबंगा से तीन प्रकार के श्वाधान के साक्ष्य मिलते हैं । आंशिक श्वाधान, पूर्ण श्वाधान तथा दाह संस्कार ।
- कालीबंगा से संभवतः विश्व के प्रथम भूकंप के साक्ष्य प्राप्त होते हैं जो कि लगभग 2100 ईसा पूर्व आया होगा ।
- कालीबंगा से बेलनाकार मोहरे प्राप्त हुई है जिससे यह प्रतीत होता है कि कालीबंगा व मेसोपोटामिया के मध्य व्यापारिक संबंध रहे होंगे । संभवतः इन्हीं कारणों से डॉक्टर दशरथ शर्मा ने कालीबंगा को तीसरी राजधानी कहा है ।
- कालीबंगा से साथ आयताकार अग्निवेदिकाएं मिली हैं ।
- कालीबंगा एकमात्र ऐसा स्थल है जहां से अलंकृत फर्श व ईंट के साक्ष्य मिले हैं ।
कालीबंगा से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
- कालीबंगा का नगर टीला और दुर्ग टीला अलग-अलग रक्षा प्राचीरों से घिरा हुआ था ।
- हाल ही में मोहनजोदड़ो व हड़प्पा से इसी भी प्रकार के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं ।
- कालीबंगा से प्राप्त पश्चिमी टीले के दो अलग-अलग भाग मिलते हैं । (यह दुर्ग टीले का द्विभागीकरण था)
- कालीबंगा से प्राप्त पश्चिमी टीले के एक भाग में विशिष्ट वर्ग के निवास करने के साक्ष्य मिले हैं तथा दूसरे भाग में हवन कुंड के साक्ष्य मिले हैं और यह दोनों ही भाग एक ही रक्षा प्राचीर से घिरे हुए थे ।
- कालीबंगा से किसी भी प्रकार की मातृदेवी की मृण मूर्ति नहीं मिली है ।
- कालीबंगा से प्राप्त एक तांबे की मोहर पर और तांबे की एक मूर्ति जिसमें वृषभ को आक्रामक मुद्रा में दिखाया गया है ।
- कालीबंगा से हाथी दांत से बनी हुई कंघी और एक पल्ले वाला दरवाजा आदि प्राप्त हुए हैं ।
Good
Nice