सिंधु घाटी सभ्यता का प्रमुख स्थल राखीगढ़ी और सुत्कांगेडोर के कोचिंग नोट्स यहां दिए गए हैं। इन नोट्स को अच्छे से पढ़कर आप कंपटीशन परीक्षा में अवश्य ही संफलता प्राप्त कर लेंगे।
सिंधु घाटी सभ्यता का प्रमुख स्थल राखीगढ़ी
- राखीगढ़ी हरियाणा के जिद जिले में प्राचीन सरस्वती दृश्यवती नदी के सूखे प्रवाह क्षेत्र में स्थित था ।
- राखीगढ़ी की खोज 1969 ईस्वी में डॉक्टर रफीक मुगल व डॉक्टर सूरजभान के द्वारा की गई ।
- राखीगढ़ी का उत्खनन 1991 से 1998 ईस्वी के मध्य अमरेंद्रनाथ के द्वारा किया गया था ।
- राखीगढ़ी से मातृ देवी अंकित मोहरें तथा कुछ लेख विहीन मोहरें भी प्राप्त हुई है ।
- राखीगढ़ी से सुई-धागा, कंघी, हाथी दांत व बारहसिंगा के अस्थि अवशेष प्राप्त होते हैं ।
- राखीगढ़ी से लगभग 3000 अर्ध निर्मित मनके प्राप्त होते हैं । इससे यह प्रतीत होता है कि यहां मनके बनाने की कार्यशाला रही होगी ।
- राखीगढ़ी से बच्चों द्वारा खेले जाने वाले पिट्ठू खेल (सतोलिया) के प्राचीनतम साक्ष्य से प्राप्त होते हैं ।
- राखीगढ़ी से कार्नेलियम, जैस्पर व चेल्सीडन जैसे पत्थर के टुकड़े भी प्राप्त होते हैं ।
- कई इतिहासकारों के अनुसार राखीगढ़ी हाथी दांत व अस्थि निर्मित वस्तुओं का शिल्प केंद्र था ।
- राखीगढ़ी से अग्निकुंड, टेराकोटा के बने हुए पहिए तथा विभिन्न आकार की नालियां भी मिलती हैं ।
- टेराकोटा का अर्थ होता है – आग से पकाई हुई भूरे रंग की मृण मूर्तियां ।
- सैंधव सभ्यता के लोग घोड़ा, तलवार, वर्ग संघर्ष तथा मंदिर से अपरिचित थे ।
- मोहनजोदड़ो, सुरकोटड़ा व लोथल से घोड़े के प्रतीकात्मक अवशेष मिले हैं, जिन्हें प्रामाणिक नहीं माना जाता है क्योंकि यह समस्त अवशेष खुदाई के अंतिम चरण से प्राप्त हुए हैं ।
- बनावली से प्राप्त एक भवन से प्रतीकात्मक मंदिर के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं जिन्हें प्रामाणिक माना है ।
सिंधु घाटी सभ्यता का प्रमुख स्थल सुत्कांगेडोर
- सुत्कांगेडोर की खोज 1927 ईस्वी में ऑरेल स्टाइन के द्वारा की गई ।
- सुत्कांगेडोर की खोज 1962 ईस्वी में जॉर्ज डेल्स के द्वारा की गई ।
- जॉर्ज डेल्स के अनुसार सुत्कांगेडोर का दुर्ग किला प्राकृतिक चट्टान पर स्थित था ।
- सुत्कांगेडोर नगर का निर्माण सिंधु घाटी सभ्यता व मेसोपोटामिया के मध्य होने वाले व्यापार को नियंत्रित करने के लिए किया गया था ।
- सुत्कांगेडोर को सिंधु सभ्यता का व्यापारिक चौराहा कहा जाता है ।
- सुत्कांगेडोर में बंदरगाह का निर्माण भी किया गया था ।
- नवीन सर्वेक्षण के आधार पर कई इतिहासकारों ने धोलावीरा से प्राप्त जल संरक्षण (टैंक या जलाशय) को भी बंदरगाह बताने का प्रयास कर रहे हैं ।
- R. L. डायसन ने सुत्कांगेडोर को सैन्य चौकी बताने का प्रयास किया है ।
सिंधु घाटी सभ्यता के अन्य महत्वपूर्ण तथ्य और अन्य प्रमुख स्थल
सिंधु घाटी सभ्यता का प्रमुख स्थल रंगपुर
- अहमदाबाद में स्थित रंगपुर की खोज 1931 ईस्वी में माधोस्वरूप वत्स ने की ।
- रंगपुर का उत्खनन 1953 ईस्वी में श्री रंगनाथ राव के द्वारा किया गया ।
- रंगपुर एकमात्र ऐसा स्थल है जहां से सिंधु घाटी सभ्यता से संबंधित कोई भी मोहर व मातृ देवी की मृणमूर्ति नहीं मिली है ।
- रंगपुर व प्रभातपतन (सोमनाथ स्थित) इन दोनों को सिंधु सभ्यता का औरस पुत्र कहा जाता है ।
सिंधु घाटी सभ्यता का प्रमुख मालवण
- गुजरात के सूरत में स्थित मालवण की खोज 1967 में जगपति जोशी के द्वारा की गई ।
- मालवण ताप्ती नदी के मुहाने पर स्थित है तथा इसे भी इतिहासकार बंदरगाह बताने का प्रयास कर रहे हैं ।
- मालवण से लाल काले तथा चमकीले लाल मृदभांड प्राप्त हुए है ।
- मालवण को दक्कनी व सौराष्ट्र के ताम्रपाषाणीक संस्कृति का मध्य केंद्र माना जाता था ।
सिंधु घाटी सभ्यता का प्रमुख स्थल भर्राना
- भर्राना हरियाणा में स्थित है तथा यहां से सोने के आभूषण प्राप्त हुए हैं ।
- भर्राना को सेंधव सभ्यता का सबसे प्राचीनतम स्थल माना जा सकता है ।
- भर्राना से प्राप्त एक लाल मृदभांड पर आभूषण पहने हुए स्त्री का अंकन मिलता है । जिसकी तुलना मोहनजोदड़ो की नृतकी के साथ की गई है ।
सिंधु घाटी सभ्यता का प्रमुख स्थल कुनाल
- हरियाणा में स्थित कुनाल की खोज 1974 में जगपति जोशी R.S. बिष्ट के द्वारा की गई ।
- कुनाल से चांदी के दो मुकुट प्राप्त होते हैं ।
सिंधु घाटी सभ्यता का प्रमुख स्थल सलोनी (उत्तर प्रदेश)
- सलोनी उत्तर प्रदेश से एक विशेष श्वाधान मिला है जो सैंधव सभ्यता का सबसे विशालतम श्वाधान है ।
- मेहरगढ़ से स्त्री की प्राचीनतम मूर्ति प्राप्त हुई है ।
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