सिंधु घाटी सभ्यता की लिपी, उद्भव और नामकरण कोचिंग नोट्स

सिंधु घाटी सभ्यता की लिपि, उद्भव और नामकरण के यह नोटस आपके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है । कोचिंग के इन नोटस में से डेफिनेटली आपकी परीक्षा में प्रश्न पूछे जाएंगे। परीक्षा से पहले एक बार इन नोटस को जरूर पढ़ें।

सिंधु घाटी सभ्यता की लिपि

  1. सिंधु घाटी सभ्यता की लिपि भाव चित्रात्मक या चित्राक्षर लिपि या चित्रात्मक लिपि है ।
  2. इस लिपि के अन्य नाम सर्पिलाकर लिपि, गोमूत्री लिपि, ब्रुस्टोफेदन लिपि, ब्रुस्टोफेदम लिपि तथा ब्रुस्टोफेदस लिपि है ।
  3. इस लिपि में मूल चिह्नों की संख्या 52 से 64 तक है जबकि कुल चित्राक्षरों की संख्या 250 से 400 के मध्य मानी जाती हैं ।
  4. इस लिपि को दाएं से बाएं व बाएं से दाएं लिखा जाता है ।
  5. इस लिपि को 1952 में सर्वप्रथम पढ़ने का प्रयास वेडेन महोदय के द्वारा किया गया था ।
  6. भारतीय व्यक्ति नटवर झा ने भी इस लिपि को पढ़ने का प्रयास किया परंतु असफल रहे ।
  7. इस लिपि से जुड़े अन्य भारतीय लोग – के एन वर्मा, एस आर राव, आई महादेवन ।
  8. इस लिपि में सर्वाधिक चित्राक्षर उल्टे ‘U’ आकर के हैं ।
  9. इस लिपि को पढ़ने में अभी तक सफलता प्राप्त नहीं हो पाई हैं ।
  10. इस लिपि के साक्ष्य सिंधु घाटी सभ्यता से प्राप्त मोहरों पर मिलते हैं । जैसे – हड़प्पा, मोहनजोदड़ो व लोथल से प्राप्त मोहरों पर तथा धोलावीरा से प्राप्त सूचना पट्ट पर ।
  11. फादर हेरास ने सैंधव लिपी को तमिल लिपि का प्रारंभिक रूप माना है ।

हड़प्पा सभ्यता या सिंधु घाटी सभ्यता के उद्भव की कहानी

  1. अब तक संसार में कुल चार सभ्यताएं हुई हैं जो किसी न किसी नदी के किनारे विकसित हुई है ।
  2. मेसोपोटामिया – दजला व फरात (युफरेटस – टिगरेस)
  3. मिश्र – नील
  4. चीन – ह्वांग-हो
  5. हड़प्पा – सिंधु

हड़प्पा सभ्यता उद्भव एवं विकास से जुड़े महत्वपूर्ण व्यक्तियों में चार्ल्स मैसन, अलेक्जेंडर बर्नेस, अलेक्जेंडर कनिंघम, जॉन मार्शल & लॉर्ड कर्जन और बर्टन बन्धु है ।

1. चार्ल्स मैसन

  1. चार्ल्स मैसन का वास्तविक नाम जॉन लेविस था ।
  2. जॉन लेविस ब्रिटिश सरकार में एक सामान्य सैनिक के रूप में थे । जिन्होंने तृतीय आंग्ल मराठा युद्ध 1805 के दौरान लड़े गए भरतपुर युद्ध में रणजीत सिंह व यशवंतराय होलकर के मध्य लेक के नेतृत्व में एक सैनिक के रूप में भाग लिया था ।
  3. चार्ल्स मैसन की पुस्तक का नाम “द नॅरेटिव ऑफ वेरियस जर्नी ऑफ़ अफगान पंजाब बलूचिस्तान एंड क्लॉत एरिया” जो कि 1842 में प्रकाशित हुई ।
  4. चार्ल्स मैसन ने 1827 में आगरा से एक दल के साथ सिंधु नदी की तरफ रवाना हुए । इस दौरान उन्होंने अनेक बौद्ध स्तूप व मंदिरों का अन्वेषण किया ।
  5. चार्ल्स मैसन ने सिकंदर व राजा पोरस के मध्य हुए युद्ध का विवरण देने का प्रयास भी किया ।
  6. 1829 ईस्वी में चार्ल्स मैसन ने पहली बार भारत में एक प्राचीनतम नगर हड़प्पा के होने की बात कही ।

2. अलेक्जेंडर बर्नेस (बर्न्स)

  • अलेक्जेंडर बर्न्स की पुस्तक का नाम “ट्रैवल्स टू द बुखारा” है
  • अपनी इस पुस्तक में बर्न्स ने मैसन द्वारा दी गई जानकारी को आगे बढ़ते हुए “भारत में किसी प्राचीन नदी के किनारे ध्वस्त किले के होने की बात कही”

3. अलेक्जेंडर कनिंघम

  1. अलेक्जेंडर कनिंघम की पुस्तक का नाम “द एनसिएंट ज्योग्राफीक ऑफ़ इंडिया” है ।
  2. अलेक्जेंडर कनिंघम ने 1853, 1856 व 1872-73 में हड़प्पा का सर्वेक्षण किया तथा यहां से वृषभ (यूनिकॉन) युक्त मोहरे प्राप्त की । इसी यूनिकॉर्न मोहर के आधार पर अलेक्जेंडर कनिंघम ने सिंधु सभ्यता को मिस्र की सभ्यता के समकालीन बताया तथा विदेशी उत्पत्ति का मत दिया ।
  3. अलेक्जेंडर कनिंघम ने 1856 में पहली बार हड़प्पा का मानचित्र जारी किया ।
  4. 1861 में कनिंघम के नेतृत्व में लॉर्ड कैनिंग के काल में भारतीय पुरातत्व विभाग (ASI) की स्थापना कोलकाता में की गई । इसी कारण कनिंघम को भारतीय पुरातत्व का जनक कहा जाता है ।
  5. 1875 ईस्वी में कनिंघम ने हड़प्पा पर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की ।
  6. 1892 ईस्वी में एडवर्ड बक ने (बक संकट के चलते) ASI को मिलने वाले वित्त को बंद कर दिया । अतः यह विभाग भी अगले कुछ वर्षों हेतु बंद हो गया ।

3. जॉन मार्शल & लॉर्ड कर्जन

  • 1899 से लेकर 1905 तक भारत में गवर्नर जनरल एंड वायसराय के रूप में लॉर्ड कर्जन रहे ।
  • लॉर्ड कर्जन ने 1902 में भारतीय पुरातत्व विभाग की पुर्नस्थापना कर इसे “भारतीय पुरातत्व एवं सर्वेक्षण विभाग” के नाम से पुनर्स्थापित किया ।
  • भारतीय पुरातत्व एवं सर्वेक्षण विभाग का प्रमुख कार्य – भारत में प्राचीन नगर, स्मारक, ईमारतों का सर्वेक्षण करना व इनका संरक्षण करना था ।
  • भारतीय पुरातत्व एवं सर्वेक्षण विभाग के प्रथम निदेशक जॉन मार्शल बने । जो कि 1928 तक निदेशक के रूप में रहे तथा उनके निर्देशन में ही 1921 ईस्वी में दयाराम साहनी ने हड़प्पा व 1922 में राखालदास बनर्जी ने मोहनजोदड़ो को खोज निकाला । जिससे यह छुपी हुई सभ्यता प्रकट हुई ।

4. बर्टन बन्धु

  • 1856 में कराची से लाहौर रेलवे लाइन बिछाते समय जॉन व विलियम बर्टन के आदेशों से पहली बार हड़प्पा के टीले से इंटे निकली गई ।
  • भारत में पहली बार रेल मुंबई से थाने के बीच 16 अप्रैल 1953 को चली थी ।

सिंधु घाटी सभ्यता का नामकरण

1. सिंधु सभ्यता

  • सिंधु सभ्यता शब्द का पहली बार प्रयोग 1924 में जॉन मार्शल के द्वारा किया गया।
  • इस नाम का प्रकाशन 1927 ईस्वी में एक साप्ताहिक समाचार पत्र “द इलस्ट्रेट द लंदन वीकली” में किया गया।
  • जॉन मार्शल की पुस्तक का नाम “मोहनजोदड़ो द इंडस सिविलाइजेशन” है।
  • 1931 ईस्वी में इसी समाचार पत्र के माध्यम से इस नाम को सर्व सुलभ करवा दिया गया।

2. सिंधु घाटी सभ्यता

  • इस नाम का प्रयोग डॉक्टर रफीक मुगल के द्वारा अपनी पुस्तक “द ग्रेटर इंडस वैली सिविलाइजेशन” में किया गया ।

3. हड़प्पा

  • इसका वर्तमान प्रचलित नाम हड़प्पा है जो की प्रथम उत्खनित क्षेत्र के आधार पर रखा गया |
  • इस सभ्यता हेतु सिंधु-सरस्वती सभ्यता व घग्घर-हाकरा सभ्यता नाम का भी प्रयोग किया जाता है

सिंधु घाटी सभ्यता के विस्तार और नगर नियोजन के कोचिंग के नोट्स यहा से पढ़ें  click

Welcome to the dksir.com website, my name is Ramesh Singh and I am currently working as a government teacher in the education department.

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